1991 के बाद से, भारतीय अर्थव्यवस्था ने मुक्त बाजार उदारीकरण, व्यापार में अधिक खुलापन और बुनियादी ढाँचे में निवेश को बढ़ाया है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक विकास और आर्थिक विकास की तीव्र दर हासिल करने में मदद मिली। हालांकि, अर्थव्यवस्था अभी भी विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों का सामना करती है, जैसे कि भ्रष्टाचार, बुनियादी ढांचे की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और कर संग्रह की दर।